मंत्रौषधि स्वर्णप्राशनं 15ml
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*प्रतिदिन देने के अनुसार कम से कम 5 पीस आर्डर करें – बार बार मंगवाने के डिलीवरी चार्ज से बचने हेतु
आयुर्वेद के प्राचीनतम ग्रन्थ ” कश्यप संहिता ” में सुवर्णप्राशन का महत्व एवं उनकी निर्माण विधि बताई गई है | हमारी संस्था द्वारा ” कश्यप संहिता ” में वर्णित विधि से ही पुष्य नक्षत्र के शुभ योग पर वैदिक मंत्रों के उच्चारण करते हुए, सात्विक एवं पवित्र वातावरण में यह बनाया जाता है |
आधुनिक टीकाकरण के विषय में तो कई जानकारियां, अनेक प्रचार – माध्यमों के द्वारा हम प्राप्त करते ही है, परंतु सुवर्ण–प्राशन, जो हमारे पुर्वजो ने विकसित की हुई एक ऐसी टीकाकरण की व्यवस्था है की यदि प्रत्येक बालक को उसकी 14 वर्ष की आयु तक पुष्य नक्षत्र के शुभ योग पर शुभारम्भ कर रोजाना इसे दिया जाये तो बहोत से रोगोके प्रभाव से शिशु को – बालक को सुरक्षित रखा जा सकता है |
सुवर्णप्राशन के प्रमुख लाभ:-
- बालक की रोगप्रतिकार क्षमता बढती है
- बालक के शारीरिक विकास में सकारात्मक गति लाता है
- स्मरणशक्ति और धारणशक्ति (grasping ability) बढाने वाले कई महत्वपूर्ण औषध से बना है।
- पाचनक्षमता बढाता है
- शारीरिक और मानसिक विकास के कारण वह ज्यादा चपल और बुद्धिमान बनता है।
- स्वर्णप्राशन मेधा (बुद्धि), अग्नि ( पाचन अग्नि) और बल बढानेवाला है।
- यह आयुष्यप्रद, कल्याणकारक, पुण्यकारक, वृष्य (पदार्थ जिससे वीर्य और बल बढ़ता है)
- वर्ण्य (शरीर के वर्ण को तेजस्वी बनाने वाला)
- वाइरल इन्फेक्शन से सुरक्षा मिलती है
- बालकोंका चिड-चिडापन, अनिंद्रा आदि दूर होते है
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Description
यदि जन्म से बच्चे को कोई टीका नही लगवाया है तो जन्म से ही आरम्भ कर सकते है। अन्यथा 6 महीने के बाद प्रतिदिन देना है
यदि बच्चे को बुखार हैं और उसे एलोपैथी की दवाई दी जा रही है तो भी उसे बुख़ार पूरी तरह से उतरने के बाद ही स्वर्णप्राशन दें।
मंत्रौषधि स्वर्णप्राशन का नियमित सेवन खाली पेट करना चाहिए । यदि कुछ खाया है तो 15 मिनट बाद सेवन करें। बालक को प्रातः उठाकर स्नान आदि से शुद्ध कर शीशी पर लिखी मात्रा या वैद्य के निर्देशानुसार नीचे दिए गए वेदोक्त मन्त्र का पाठ करके आयु के अनुसार स्वर्णप्राशन का सेवन अधिक लाभकारी होता है।
स्वर्णप्राशन संस्कार का मन्त्र:
ॐ भू: त्वयि दधामि
ॐ भुवः त्वयि दधामि
ॐ स्वः त्वयि दधामि
ॐ भूः भुवः स्वः त्वयि दधामि
अर्थात
हे वत्स! तुम्हे तेज प्राप्त हो
हे वत्स! तुम्हे प्रभाव सत्ता प्राप्त हो
हे वत्स! तुम्हे ओज प्राप्त हो
प्रतिदिन यह औषधि देने के चमत्कारिक लाभ है:
ध्यान रहे नीचे दी गई मात्रा प्रतिदिन देने के अनुसार है
6 माह से 12 वर्ष तक प्रतिदिन दे सकते है।
1) 6 माह तक के बच्चे को 7 से 15 दिन में 2 बूंद देनी है
2) अन्नप्राशन संस्कार अर्थात 6 माह से 8 वर्ष की आयु तक 3 बूंद से प्रारम्भ कर 5 बूँद तक दे सकते है
3) 8 वर्ष से 12 वर्ष की आयु तक 7 बूँद प्रतिदिन दे सकते है।
किसी कारणवश यदि माह में एक बार पुष्य नक्षत्र पर औषधि देनी है तो
ध्यान रहे नीचे दी गई मात्रा महीने के एक बार के अनुसार है
0 से 6 माह के बच्चे को 2 बूँद
6 माह से 8 वर्ष तक के बच्चे को 5 बूँद
8 से 12 वर्ष की आयु तक के बालक को 7 बूँद
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खुराक के अनुसार प्रतिदिन देने के लिए एक शीशी लगभग 15 दिन से एक महीना चलेगी
स्वर्णप्राशन की एक दिन की खुराक का बाजार में 200 से 400 रु. लिया जाता है। जिस कारण प्रतिदिन देने का साहस कोई नही दिखा पाता। परंतु कुछ संतो के आशीर्वाद से स्वर्णभस्म प्रचूर मात्रा में निःशुल्क उपलब्ध करवाई जा रही है जिस से भारत के अधिक से अधिक बच्चो को स्वर्णप्राशन की खुराक मिले। अतः यह अमृतुल्य औषधि बहुत कम मूल्य पर उपलब्ध है।
Additional information
Weight | 60 g |
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