पुदीन जीरा सिरप – गैस भगाये तुरंत

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आयुर्वेद के विभिन्न ग्रंथो में उदररोगों के लिए विभिन्न औषधियां बताई गई है, जिसमें मुख्य है हिंग, पुदीना और जीरा। ऐसी सभी औषधियों का ठिक संयोजन करके यह पुदीन जीरा सिरप बनाया गया है।

लाभ :

  • पुदिन जीरा सिरप पाचन तंत्र के लिए एक उत्तम औेषधी है, पेट के सभी प्रकार के रोगों में यह बहोत लाभदायी है।
  • गर्भावस्था में पाचन कि गड़बड़ी होती है, बार बार उल्टी होती है। इसी परिस्थति में पुदीन जीरा सिरप भोजन के बाद सेवन करने से लाभ होता है।
  • पाचन तंत्र को सक्रिय करके मल प्रवृत्तियों को नियमित करता है।
  • सभी प्रकार के उदर रोगों में लाभदायी है।
  • किसी भी प्रकार के अजीर्ण के लिए भी यह एक उत्तम औषधि है।
  • यह सिरप प्राकृतिक खड़ी शक्कर से बनाया गया है, इसीलिए इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं है।

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Description

घटक:

पुदीना: 15%
जीरा: 15%
अजवाइन तेल: 15%
हींग: 10%
सेंधा नमक: 10%
काला नमक: 10%
सतपुष्पा: 05%
पुदीना सत्‌: 05%
हरड़: 05%
सोंठ: 05%
सोंफ़: 05%

बाजार के बाकी बिकनेवाले सिरप में चीनी का उपयोग किया जाता है, जो शरीर के लिए हानिकारक है । जब की इस सिरप में प्राकृतिक खड़ी शक्कर का उपयोग क़िया गया है, जिसका कोई हानिकारक प्रभाव ना होने से निर्भयता से ली जा सकती है ।

आयुर्वेद के ग्रंथों में बताया गया है की, हमारे शरीर का स्वास्थ्य हमारे किये हुए आहार-विहार के अनुरुप होता है। ‘ आरोग्यं भोजनाधीनम्‍ ’ अर्थात्‍ आरोग्य भोजन के आधीन होता है। हम जिस प्रकार के आहार का सेवन करते है, हमारा शरीर भी उसी प्रकार का स्वास्थ्य प्राप्त करता है। ‘ प्रायेणाहार वैषम्यादजीर्णं जायते नृणाम् ’ इस श्लोक द्वारा अष्टांगह्रदयम्‌ में बताया गया है की, परस्पर विरुद्ध आहार, अप्रमाण आहार और अकाल किया हुआ आहार अजीर्ण की उत्त्पति करता है। आज-कल बहुत सारे लोग बाजार से बासी, अखाद्य तैलयुक्त, कृत्रिम मसालों से युक्त आहार करते है। जिस के कारण हमारे पाचनक्रिया पर इसका बहुत दुष्प्रभाव होता है। आयुर्वेद ने पाचनक्रिया को अधिक महत्व दिया है क्योंकि पका हुआ अन्न ही समस्त शरीर का पोषण कर सकता है, अपक्व अन्न शरीरस्थ तीनों दोषों को प्रकुपित करके सभी रोगों को उत्तपन्न करते है। पाचनक्रिया में पाचक पित्त की बहुत अहम भूमिका रहती है। अपथ्य आहार-विहार के कारण पाचक पित्त अपना कार्य ठीक तरीके से नहीं कर सकता, जिसके कारण वात की उत्त्पति होती है। अत: वात और पित्त प्रकुपित होकर अजीर्ण, अग्निमांद्य, आनाह, अम्लपित्त, कब्ज, उदरशूल, आंत्रदाह, गूल्म आदि रोगों की उत्त्पति करते हैं। संस्कृति आर्य गुरुकुलम्‌ ने बनाया हुआ ‘पुदिन जीरा सिरप’ इन सभी रोगों में बहुत उपयोगी है।

Ayurveda suggests that our health is what we eat. ‘ आरोग्यं भोजनाधीनम्‍ ’ which means good health is under food. ‘ प्रायेणाहार वैषम्यादजीर्णं जायते नृणाम्‍ ’ Shloka in Ashtang Hridayam, say indigestion is caused by fruits with conflicting symptoms and food eaten in an untimely manner. These days, a lot of people eat stale food from outside, non-eatable, full of oil, made using artificially spices. It puts an adverse affect on our stomach. Ayurveda has given much importance to digestive system because cooked food is what feeds the body. Undigested grains causes imbalance of all three Doshas and can be cause of various diseases.

Digestive gases (semi liquid) are very important for digestion. Undisciplined eating habits don’t let digestive fluids work properly which causes Vaata. That is why Vaata and Pitta cause diseases like indigestion, low appetite, acidity, constipation, stomachache, kidney inflammation, etc. Sanskruti Arya Gurukulam’s “Pudin Jeera Syrup” is very beneficial in all these.

सेवनविधि : सुबह-दोपहर-शाम भोजन के बाद २-२ चम्मच समभाग पानी के साथ लें।

सेवनयोग्य व्यक्ति : १ साल से अधिक आयुवाला कोई भी व्यक्ति इसका सेवन कर सकता है।

Additional information

Weight 290 g