आजकल के इस भागदौड़ भरे युग में अनियमित जीवनशैली के चलते जो बीमारी सर्वाधिक लोगों को अपनी गिरफ्त में ले रही है वह है मधुमेह। मधुमेह अथवा डायबिटीज एक ऐसा रोग बन गया है, जिसकी चर्चा आजकल घर घर में होती है। भारत में लगभग 7.7 करोड़ लोग हैं जो इस बीमारी से पीड़ित है और हद साल लगभग 10 लाख लोग मधुमेह और इससे जुड़े रोगों का शिकार हो जाते हैं। यह एक ऐसी बीमारी है, जिसमें लंबे समय तक रक्त में शर्करा या शुगर का स्तर उच्च होता है। उच्च रक्त शर्करा के लक्षणों में अक्सर पेशाब आना होता है, प्यास की बढ़ोतरी होती है, और भूख में वृद्धि होती है। सही समय पर इसका रोकथाम या इलाज नहीं किया जाय, तो यह कई गंभीर दीर्घकालिक जटिलता जैसे हृदय रोग, स्ट्रोक, क्रोनिक किडनी की विफलता, पैर अल्सर और आँखों की बीमारियाँ इत्यादि का कारण बन सकता है। आजकल यह रोग सबके लिए इतना सामान्य बन गया है, स्वाभाविक रूप से इसके उपचार के लिए भी हजारों दवाइयां मार्केट में आ गई है जिससे केवल खून में ग्लूकोज की मात्रा नियंत्रण में रहती है, मधुमेह पूर्ण रूप से ठीक नहीं होती। इन्हीं दवाइयों को बेचकर बड़ी-बड़ी कंपनियां खूब पैसा कमा रही है परंतु इस रोग से पीड़ित व्यक्ति को इससे कुछ खास लाभ नहीं मिल रहा। इसका कारण यह है कि यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें केवल दवाइयां नहीं परंतु यदि खान-पान का ध्यान ना रखा जाए तो ब्लड शुगर लेवल काफी तेजी से बढ़ सकता है। इसलिए इस आर्टिकल के द्वारा आपके लिए हम कुछ प्राकृतिक उपाय लेकर आए हैं जिससे पहले तो आप इस भयानक बीमारी से बच सकते हैं और दूसरा अपने शुगर लेवल को नेचुरल रूप से नियंत्रण में रख सकते हैं।
पहला उपाय – करेले का रस
करेला जूस मधुमेह वालों के लिए एक वरदान है क्योंकि करेले के पौधे में इंसुलिन और अन्य मधुमेह विरोधी पदार्थों की उच्च खुराक रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करती हैै। करेले में चैरेटिन और मोमोरडिसिन नाम के दो यौगिक होते हैं जो डायबिटीज रोगियों के लिए बहुत लाभदायक होते हैं। यह ब्लड शुगर लेवल को मैनेज करते हैं। करेले में एंटी ऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में होते हैं जो मधुमेह से संबंधित समस्याओं से लड़ने में सहायता करता है। साथ ही इसमें पॉलिपेप्टाइड की नामक यौगिक होता है जो ब्लड शुगर कंट्रोल करने में मदद करता है। इस तत्व को पी इंसुलिन के नाम से भी जाना जाता है।
सुबह खाली पेट करेले के जूस का सेवन करने से आप अपने डायबिटीज को कंट्रोल में रख सकते हैं। नियमित रूप से ऐसा करने से रक्त में ग्लूकोस के स्तर में अनावश्यक वृद्धि से बचना सुनिश्चित होता है। इसके अलावा इसमें पोटैशियम, एंटीऑक्सीडेंट्स, विटामिन ए और विटामिन सी भी मौजूद होती है जो मधुमेह के वजह से घटे प्रतिरक्षा प्रणाली को पुनर्जीवित करता है। सिर्फ सेवन ही नहीं , 8 से 10 करेले को कूटकर या फिर मिक्सी में पीसकर उसका रस निकाल कर एक बड़ी सी बर्तन में रखें और उसमें अपने पैरों को डूबा कर 15 से 20 मिनट तक उसे हिलाते डुलाते या चलाते रहें जब तक कि करेले का कड़वापन आपके जीभ तक ना पहुंच जाए। यह एक अत्यंत फायदेमंद इलाज है जिससे प्राकृतिक रूप से आपका डायबिटीज नियंत्रण में रह सकेगा।
दूसरा उपाय – जामुन का रस
मधुमेह के उपचार में जामुन एक पारंपरिक औषधि है। जामुन को मधुमेह के रोगी का ही फल कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी, क्योंकि इसकी गुठली, छाल, रस और गूदा सभी मधुमेह में बेहद फायदेमंद हैं। जामुन में भरपूर मात्रा में विटामिन बी और आयरन होता है जो शरीर में खून की कमी को पूरा करता है। जामुन डायबिटीज के मरीजों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। इसके एंटीडायबिटिक गुण स्टार्च को एनर्जी में बदल देते हैं और ब्लड शुगर लेवल को सामान्य रखते हैं। पके हुए जामुन को पानी में उबालकर उसको रस के रूप में, जामुन की गुठलियों को सुखाकर उस को पीसकर चूर्ण के रूप में, या फिर उसके पेड़ के पत्तियों को उबालकर काढ़े के रूप में उसका सेवन कर सकते हैं| लगातार इस्तेमाल से इससे डायबिटीज कंट्रोल में रहती है| जामुन में ढेर सारे पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, आयरन, विटामिन सी, विटामिनन बी, मिनरल्स, एंटीऑक्सीडेंट, मैग्नीशियम, पोटेशियम, ग्लूकोज, फ्रक्टोज और फाइबर होते हैं जो आपको हार्ट प्राब्लम्स, कैंसर, पेट की समस्याओं जैसी कई अन्य बीमारियों से दूर रखते हैं।
तीसरा उपाय – एलोवेरा का रस
भारतीय चिकित्सा पद्धति में एलोवेरा का उपयोग प्राचीन काल से बहुत बड़े पैमाने पर किया जाता है। अनेक रोगों की तरह यह मधुमेह के रोगियों के लिए बहुत उपयोगी होता है क्योंकि एलोवेरा पैंक्रियास के फंक्शन में मदद करती है। यह शरीर में इंसुलिन का उत्सर्जन नियंत्रित करती है जिसके कारण यह मधुमेह के लिए एक वरदान का रूप होता है। इसके सेवन से मधुमेह रोगियों की रक्त शर्करा के स्तर में सुधार होता है। एलोवेरा में इमोडिन नाम का तत्व पाया जाता है जो शरीर में मौजूद ग्लूकोज के स्तर को कम कर सकते हैं। रोजाना इसका इस्तेमाल करने से शरीर को 2 तरह के फाइबर प्राप्त होते हैं जिनका नाम है मूसिलेज और ग्लूकोमेनन। ये भूख को शांत करके वजन कम करने में भी मददगार होते हैं। इन सबके अलावा इसमें क्रोमियम और मैग्नीज जैसे तत्व भी पाए जाते हैं। जो शरीर में इंसुलिन का स्तर बनाए रखते हैं और आपको डायबिटीज से बचाते हैं। मधुमेह से पीड़ित व्यक्ति के घाव तथा दर्द को जल्दी ठीक करने में भी यह मदद करता है। गाय के कच्चे दूध में ऐलोवेरा का रस मिलाकर आधा-आधा कप पीने से मधुमेह रोग में लाभ होता है और इससे शुगर कंट्रोल में आ जाती है।