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आयुर्वेदिक टीकाकरण – मंत्रौषधि स्वर्णप्राशन

आयुर्वेद के प्राचीनतम ग्रन्थ ” कश्यप संहिता ” में सुवर्णप्राशन का महत्व एवं उनकी निर्माण विधि बताई गई है | हमारी संस्था द्वारा ” कश्यप संहिता ” में वर्णित विधि से ही पुष्य नक्षत्र के शुभ योग पर वैदिक मंत्रों के उच्चारण करते हुए, सात्विक एवं पवित्र वातावरण में यह बनाया जाता है |

आधुनिक टीकाकरण के विषय में तो कई जानकारियां, अनेक प्रचार – माध्यमों के द्वारा हम प्राप्त करते ही है, परंतु सुवर्ण–प्राशन, जो हमारे पुर्वजो ने विकसित की हुई एक ऐसी टीकाकरण की व्यवस्था है की यदि प्रत्येक बालक को उसकी 14 वर्ष की आयु तक पुष्य नक्षत्र के शुभ योग पर शुभारम्भ कर रोजाना इसे दिया जाये तो बहोत से रोगोके प्रभाव से शिशु को – बालक को सुरक्षित रखा जा सकता है |

सुवर्णप्राशन के प्रमुख लाभ:- 

  • बालक की रोगप्रतिकार क्षमता बढती है
  • बालक के शारीरिक विकास में सकारात्मक गति लाता है
  • स्मरणशक्ति और धारणशक्ति (grasping ability) बढाने वाले कई महत्वपूर्ण औषध से बना है।
  • पाचनक्षमता बढाता है
  • शारीरिक और मानसिक विकास के कारण वह ज्यादा चपल और बुद्धिमान बनता है।
  • स्वर्णप्राशन मेधा (बुद्धि), अग्नि ( पाचन अग्नि) और बल बढानेवाला है।
  • यह आयुष्यप्रद, कल्याणकारक, पुण्यकारक, वृष्य (पदार्थ जिससे वीर्य और बल बढ़ता है)
  • वर्ण्य (शरीर के वर्ण को तेजस्वी बनाने वाला) 
  •  वाइरल इन्फेक्शन से सुरक्षा मिलती है
  • बालकोंका चिड-चिडापन, अनिंद्रा आदि दूर होते है
पुष्य नक्षत्र दिनांक 2023
July 18,
August 14
September 10
October 07
November 04
December 01
December 30

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